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रचना: 2024-10-26
रचना: 2024-10-26 08:44
स्वरचित कविता, समय का दिया हुआ सांत्वना
समय नाम की यह नदी हमारे हर पल को अपने में समेटे हुए बहती रहती है। अकेलापन हो, दर्द हो या फिर यादें, सब अंततः इस बहते हुए जल के छोटे से हिस्से मात्र हैं। जैसे मौसम बदलते हैं, वैसे ही हमारी भावनाएँ भी लगातार बहती और बदलती रहती हैं।
"समय का दिया हुआ सांत्वना" यह कविता जीवन के उन पलों को दर्शाती है जिनसे हम सभी गुजरते हैं। कभी-कभी ऐसा लगता है कि केवल हम ही दुखी हैं, परंतु वह पल भी बीत जाता है और याद बन जाता है, और हमें आगे बढ़ने की ताकत देता है। बीते हुए समय हमारे जीवन के कीमती पन्ने बन जाते हैं जो नए अर्थ पैदा करते हैं।
समय सबसे अच्छा उपचारक और गुरु है। जैसे मौसम बदलते हैं वैसे ही हमारे मन भी बदलते हैं और आज का दर्द कल किसी पुरानी याद की तरह लौट आएगा। इसलिए हम वर्तमान क्षण को और अधिक महत्व देते हैं।
जब तक आपके सभी पल तारों की तरह चमकते रहें, उस यात्रा में हम साथ चलेंगे। दुनिया में अनेक कहानियाँ हैं, पर आपकी कहानी सबसे खास है। इस लेख को पढ़ रहे आप को थोड़ी सी सांत्वना मिले यह कामना है।
<समय का दिया हुआ सांत्वना>
लगता था कि अकेलेपन के दिन हमेशा रहेंगे,
पर अकेलेपन के दिन भी बीत जाते हैं।
मुझे नहीं पता था,
कि समय बीत जाने पर सब कुछ याद बन जाता है।
जीवन को दोबारा नहीं देखा जा सकता।
थोड़ी देर के लिए रुक भी नहीं सकते
मौसम बिना रुके बदलते रहते हैं।
इसलिए सब ठीक है।
दर्द भरे पल भी
नदी की तरह बहते चले जाएँगे।
जहाँ हम खड़े हैं यह जगह भी
कभी यादों में बदल जाएगी।
बीता हुआ समय,
अंततः हमें और अधिक चमकदार बनाने वाला
तारा बनेगा।
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