जीवन के कीमती पलों और रोज़मर्रा की छोटी-छोटी खुशियों का गुणगान करने वाली कविता 'जीवन सुंदर है', प्यार, सपने और यादों को सुंदर पंक्तियों में पिरोकर भावुकता से भर देती है।
यह कविता हम सभी को याद दिलाती है कि हम जीवन के हीरो हैं, और जीवन की कठिनाइयों के बीच भी हमें आशा नहीं छोड़नी चाहिए, बल्कि यह हमें सांत्वना और हिम्मत देती है।
जीवन की सुंदरता और अर्थ को फिर से समझने वाली यह कविता, दिल को गर्मजोशी से भरने वाले दीपक की तरह है।
जीवन सुंदर है, रोज़मर्रा की खुशियों को खोजने वाली सुकून देने वाली पंक्तियाँ
जीवन की सुंदरता का गुणगान करने वाली मार्मिक कविता, "जीवन सुंदर है" का परिचय। यह कविता हमारे जीवन के कीमती पलों को खूबसूरती से दर्शाती है, और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में मिलने वाली छोटी-छोटी खुशियों और आशाओं को समेटे हुए है।
प्यार को तारों की फुसफुसाहट में, और सपनों को बसंत के अंकुर में रूपक के तौर पर प्रस्तुत करते हुए शुरू होने वाली यह पंक्तियाँ हमारी भावनाओं को उत्तेजित करती हैं। समय के खज़ाने में मोती जैसे यादें, और हर पल तालमेल बिठाती हुई कविता बनने वाली रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की तस्वीर पेश करती है।
"अनंत काल के कवि के साथ हाथ मिलाकर, प्यार और सपनों के गीत गाते हुए" यह पंक्ति हमें याद दिलाती है कि हम सभी जीवन नामक महाकाव्य को साथ मिलकर लिखने वाले पात्र हैं। यह कविता जीवन के अर्थ पर दोबारा विचार करने का एक अच्छा माध्यम है, साथ ही यह मन को सुकून देने वाली पंक्तियाँ भी हैं।
जीवन की कठिनाइयों के बीच भी आशा नहीं खोने और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की कीमत को समझने में मदद करने वाली यह कविता बहुतों को सांत्वना और हिम्मत देगी। जीवन की यात्रा को खूबसूरती से चित्रित करने वाली यह पंक्ति, हमारे जीवन की विशिष्टता और कीमत को याद दिलाने वाला एक कीमती संदेश देती है।
आशा है कि यह कविता आपके दिन में थोड़ी देर के लिए सुंदरता जोड़ेगी, और जीवन के वास्तविक अर्थ पर दोबारा विचार करने का अवसर देगी। "जीवन सुंदर है" महज़ एक कविता से बढ़कर, हमारे जीवन को रोशन करने वाला एक दीपक है।
[पूर्ण पाठ] जीवन सुंदर है
प्यार है तारों की फुसफुसाहट सपने हैं बसंत के अंकुर का वादा
यादें हैं समय के खज़ाने में बंद चमकते मोतियों का तमाशा
हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी कविता बन जाती है हर पल तालमेल बिठाती है
अनंत काल के कवि के साथ हाथ मिलाकर प्यार और सपनों के गीत गाते हुए अपना महाकाव्य रचते हैं हम