विषय
- #आत्म-सम्मान
- #आत्म-विकास
- #व्यक्तित्व
- #सांत्वना
- #भावुक कविता
रचना: 2024-11-09
रचना: 2024-11-09 16:19
अच्छी कविता, केवल तुम
"लाखों कदमों में केवल तुम्हारा कदम..."
हम अक्सर भूल जाते हैं।
लाखों लोगों में मैं कितना खास हूँ,
अनंत आकाश के नीचे मैं कितना चमकदार तारा हूँ...
यह कविता आपको बताती है।
आप लाखों कदमों में भी
किसी के समान नहीं, अपने ही कदमों पर चल रहे हैं।
हरे-भरे जंगल में एक छोटी सी घास की तरह,
आपकी अपनी अनोखी खुशबू है।
तेज लहरों में भी
अपने ही प्रवाह के साथ आगे बढ़ना,
यही आपका रास्ता है।
दूसरों से तुलना मत करो,
किसी का अनुसरण मत करो,
केवल अपनी रोशनी से चमको।
क्योंकि आप केवल आप ही होने के कारण सुंदर हैं।
दुनिया में आप जैसा कोई दूसरा नहीं है।
आपका हर पल अर्थपूर्ण है,
आपका हर चुनाव खास है,
आपका अस्तित्व अपने आप में ही काफी सुंदर है।
आज भी अपनी रोशनी से दुनिया को रोशन करो।
आपके द्वारा ही संभव, केवल आपकी कहानी लिखो।
<केवल, तुम>
लाखों कदमों में
केवल तुम्हारा कदम
अनंत आकाश के नीचे
चमकता हुआ एक सपना
हरे-भरे जंगल के बीच में भी
तुम्हारी अपनी खुशबू लिए हुए
एक छोटी सी घास की तरह
शांत होकर खिलो
हजारों लहरों के बीच
केवल तुम्हारे प्रवाह से
अपना रास्ता खोजो
अपनी रोशनी को समेटो
सब कुछ एक ही है
तुम्हारे लिए मौजूद है
जैसे हो वैसे ही
सुंदर है
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