विषय
- #विकास
- #सुंदरता
- #अपूर्णता
- #सकारात्मकता
- #आत्म
रचना: 2024-09-21
रचना: 2024-09-21 13:05
अपूर्णता की सुंदरता की तलाश में, आपकी आंतरिक यात्रा
आज हम सबके भीतर छिपे खज़ाने के बारे में बात करेंगे।
हमारे प्रत्येक के भीतर एक चमकदार रत्न जैसा आत्म होता है। कभी-कभी छाया की तरह दिखने वाली कमियाँ भी चांदनी में झिलमिलाते हुए रूप की तरह कोमल और सुंदर होती हैं। पूर्ण नहीं होने के कारण ही वे और भी अधिक चमकदार होती हैं।
क्या आपने कभी फूलों के बगीचे में टहलने का आनंद लिया है? हर पंखुड़ी का आकार अलग होता है, ठीक उसी तरह जैसे हम सबके अपने-अपने अनोखे आकर्षण हैं। वह अपूर्णता ही इस दुनिया की एकमात्र कलाकृति है। कृपया अपने विशिष्टता को याद रखें।
ज़िन्दगी के मंच पर हम कभी-कभी अनाड़ी कदम रखते हैं। लेकिन वह अनाड़ी कदम भी किसी की नज़र में सुंदर नृत्य की तरह लग सकता है। टूटा हुआ दर्पण का टुकड़ा भी रोशनी पाने पर चमकता है। याद रखें कि हमारे सभी पहलू एक खास रोशनी बिखेरते हैं।
आज, थोड़ा रुक कर खुद को वैसे ही देखें जैसे आप हैं। अपने आत्म को प्यार से गले लगाएँ। उस गर्म आगोश में आपका असली रूप बसंत के फूलों की तरह खिल उठेगा।
याद रखें, आप अपने आप में ही काफी सुंदर और मूल्यवान हैं। आज, कल और हमेशा अपनी अनोखी चमक के साथ जीते रहें। आपकी अपूर्णता से बनने वाली सुंदर कला को दुनिया को उपहार दें।
[विशेषज्ञ]
अपूर्णता की सुंदरता
चांदनी में भी परछाई होती है
हर पंखुड़ी का आकार अलग होता है
आपकी अपूर्णता ही कला है
अनाड़ी कदमों में भी नृत्य होता है
टूटे दर्पण में भी रोशनी झलकती है
आपके भीतर का रत्न, वैसे ही चमकेगा
आत्म को गले लगाने वाला गर्म स्पर्श
उस आगोश में खिलने वाला सच्चा फूल
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