विषय
- #दैनिक जीवन
- #पतझड़ की कविता
- #पतझड़ की भावना
- #भावुक कविता
रचना: 2024-11-12
रचना: 2024-11-12 21:11
पतझड़ को समर्पित एक भावुक कविता, पतझड़ की कविता
खिड़की पर बसी एक सुनहरी याद,
गर्म कॉफ़ी की खुशबू के साथ उभरती हुई
समय की खुशबू को संजो कर देखा है।
पुरानी दराज में छिपी हुई यादें भी,
हर दिन बढ़ता जीवन का बोझ भी
पतझड़ की धूप में घुलकर पिघल जाता है
एक ख़ास मौसम है।
लाल रंग के कपड़े पहने पतझड़ और
अपना आख़िरी गीत गाते हुए सूखे पत्ते,
इस क्षण को शब्दों में उकेरकर
आपके साथ साझा करना चाहता था।
शांत जल की सतह पर चीनी मिट्टी के बर्तन की नाव की तरह
शांत बहती हुई यह घड़ी,
आपके मन में भी गर्म सांत्वना हो, यही कामना है।
<पतझड़ की कविता>
सुनहरी याद का एक पन्ना
खिड़की पर अपने निशान छोड़ता हुआ
मौन कॉफ़ी ने फैलाया हुआ
समय की खुशबू यहाँ ठहरती है
रेशमी धूप
पुरानी दराज खोलकर
दबी हुई यादों को भी
गर्मजोशी से पिघला देती है
शांत जल के ऊपर तैरती हुई
चीनी मिट्टी के बर्तन की एक नाव पर लादकर
जमा हुआ जीवन थोड़ा-थोड़ा करके
मीठा कम कर देती है
लाल कपड़े पहने मौसम
तेरे नाच खत्म होने से पहले
लेकिन अक्टूबर की घड़ी
अलविदा कहने का आग्रह करती है
हवा में बिखरते हुए
सूखे पत्तों का आख़िरी गीत
अगले साल के कैलेंडर के एक पन्ने में रखकर
गहरी रात का सामना करती हूँ
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